दोस्ती और मुहब्बत के बीच
बहुत धुंधली सी एक सरहद
मैं,
धुंध के बहाने से
जाने कब सरहद पार कर गया
तुम, मगर,
धुंध के ख़ौफ़ से
सरहद तक कभी आए ही नहीं!
बहुत धुंधली सी एक सरहद
मैं,
धुंध के बहाने से
जाने कब सरहद पार कर गया
तुम, मगर,
धुंध के ख़ौफ़ से
सरहद तक कभी आए ही नहीं!
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