Saturday 26 March 2016

One Sided Love

लफ़्ज़ों में तो कुछ बयान नहीं किया मैंने,
आँखों में तुमने जाने क्या पढ़ लिया?
मगर जानां,
अब तुम इतनी नादान भी नहीं...
जानती तो हो,
क़ानून ऐसे मुआहिदे नहीं मानता!

Friday 25 March 2016

Eid Mubarak

~बच्चों की ख़ुशी देख कर अफसरदा है ग़रीब माँ

अब फ़ाक़े का क्या जवाज़ हो, कल दिन है ईद का~

Random #3

~एक तेरी आदत छोड़ने की ख़ातिर

जाने कितनी आदतें बिगाड़ ली मैंने~

Random #2

~ये मत समझना कि पलट आया हूँ मैं

बारिशों में ज़ख्म कुरेदने की रवायत पुरानी है~

Random #1

~कभी हक़ीक़त की नज़र से देखना

मुहब्बत पर पैबंद लगे नज़र आएंगे~

Valentine's Day

~मुहब्बतों के दिन मुक़र्रर हैं यहाँ

ये फ़ैसले अब दिलों पर छोड़े नहीं जाते~

December

~सर्द से जज़्बात, मुख़्तसर मुलाक़ात, बेवजह बढ़ती धुंध

दिसंबर की शामों की फितरत कुछ तुम जैसी है~

November

~आख़िरी बारिश और पहली बर्फ़ के दरमियां का बेमज़ा मौसम

तुम्हारी ज़िन्दगी में मेरा किरदार 'नवंबर' की तरह था~

Saturday 12 March 2016

Happy Women's Day!

कुल आठ बरस की थी मैं
जब पापा के प्यार से 'बेटा' बुलाने पर
तुमने किस क़दर नाराज़गी से कहा था
नहीं. बेटी ही है.
और 
कल जब
पड़ोस की आंटी ने,
मेरे प्रमोशन की ख़बर सुन कर कहा -
मुबारक हो, नाम रौशन किया है
ये आपकी बेटी नहीं, बेटा है
तुमने बड़े ही फ़ख़्र से कहा
नहीं. बेटी ही है.

उस दिन
पूछ ही लिया तुमसे
माँ
सब तो कहते हैं
लड़के लड़की में कोई फर्क नहीं होता
तुम क्यों नहीं मानती?
क्यों ज़िद है कि फ़र्क़ होता है


तुम मुस्कुराई
क्यूँकि फ़र्क़ तो है !
तुम्हे आगे, बहुत आगे जाना था ,
ज़माने की हदों को लांघ कर,
नयी रवायतें बनानी थी .
नामुमकिन ख्वाब देखने थे,
उन्हें सच कर दिखाना था .
तुम्हे उड़ना था आसमान में ,
तुम्हारे पैरों में बेड़ियां क्यों डालती?
बेटा समझती तो बेटा ही रह जाती,
बेटी कभी नहीं बन पाती.

The Proposal

सुनो,
पहली मुहब्बत दोनों को रास नहीं आई है
तुम पर भी दरारें हैं, मैं भी टूटा टूटा सा 
तुम्हारे अश्क़ थमते नहीं, मैं मुस्कुराना भूल गया 
तुम्हारा दिल टूट चुका है पहले
मैं हमेशा से ज़रा clumsy हूँ
इश्क़ से हारी तुम भी हो,
इश्क़ का मारा मैं भी हूँ

तुम ख़ाली हाथ, मैं तन्हाइयों का आदी
खोने को दोनों के पास अब कुछ नहीं बाक़ी
क्यों न मुहब्बत का फलसफा ज़रा बदल के देखें
पहली मुहब्बत को दूसरी बार करके देखें!

First Love is often overrated

सुनो
पहली मुहब्बत अक्सर ओवर-रेटेड होती है
कुछ रस्म दुनिया की ऐसी है
कुछ फिल्मों ने भी आदत बिगाड़ी है
वरना
तुम ही सोचो

फुर्सत किसे घंटो फ़ोन पर बातें करने की
रातों को जागने की अब उम्र भी तो नहीं रही
तुम्हारे नख़रे उठाने का दिल तो बहुत चाहता है
मगर कौन अब साहिल पर घरौंदे बनाता है
चाँद से बातें करूँ कैसे, बड़ा बुनियादी सा मसला है
मेरी खिड़की से सिर्फ पडोसी का बल्ब नज़र आता है
बारिशों में साथ भीगना, कैसी ये हिमाक़त है
मैं अक्सर छींकता रहता हूँ, मेरे बॉस को शिकायत है

इसलिए बेहतर है जानां
तुम आख़िरी मुहब्बत का इंतज़ार करो
जब हक़ीक़त अफसानों से ज़्यादा पसंद आए
और तुम्हारे ख्वाबों पर ज़रा सी उम्र आ जाए
जब ज़िन्दगी जीने के लिए किसी और की ज़रूरत न रहे
और मुहब्बत का सबब सिर्फ मुहब्बत न रहे

क्यूँकि पहली मुहब्बत अक्सर ओवर-रेटेड होती है!