कुल आठ बरस की थी मैं
जब पापा के प्यार से 'बेटा' बुलाने पर
तुमने किस क़दर नाराज़गी से कहा था
नहीं. बेटी ही है.
और
जब पापा के प्यार से 'बेटा' बुलाने पर
तुमने किस क़दर नाराज़गी से कहा था
नहीं. बेटी ही है.
और
कल जब
पड़ोस की आंटी ने,
मेरे प्रमोशन की ख़बर सुन कर कहा -
मुबारक हो, नाम रौशन किया है
ये आपकी बेटी नहीं, बेटा है
पड़ोस की आंटी ने,
मेरे प्रमोशन की ख़बर सुन कर कहा -
मुबारक हो, नाम रौशन किया है
ये आपकी बेटी नहीं, बेटा है
तुमने बड़े ही फ़ख़्र से कहा
नहीं. बेटी ही है.
नहीं. बेटी ही है.
उस दिन
पूछ ही लिया तुमसे
माँ
सब तो कहते हैं
लड़के लड़की में कोई फर्क नहीं होता
तुम क्यों नहीं मानती?
क्यों ज़िद है कि फ़र्क़ होता है
तुम मुस्कुराई
क्यूँकि फ़र्क़ तो है !
तुम्हे आगे, बहुत आगे जाना था ,
ज़माने की हदों को लांघ कर,
नयी रवायतें बनानी थी .
नामुमकिन ख्वाब देखने थे,
उन्हें सच कर दिखाना था .
तुम्हे उड़ना था आसमान में ,
तुम्हारे पैरों में बेड़ियां क्यों डालती?
बेटा समझती तो बेटा ही रह जाती,
बेटी कभी नहीं बन पाती.
पूछ ही लिया तुमसे
माँ
सब तो कहते हैं
लड़के लड़की में कोई फर्क नहीं होता
तुम क्यों नहीं मानती?
क्यों ज़िद है कि फ़र्क़ होता है
तुम मुस्कुराई
क्यूँकि फ़र्क़ तो है !
तुम्हे आगे, बहुत आगे जाना था ,
ज़माने की हदों को लांघ कर,
नयी रवायतें बनानी थी .
नामुमकिन ख्वाब देखने थे,
उन्हें सच कर दिखाना था .
तुम्हे उड़ना था आसमान में ,
तुम्हारे पैरों में बेड़ियां क्यों डालती?
बेटा समझती तो बेटा ही रह जाती,
बेटी कभी नहीं बन पाती.
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