मैं ढीली टाई और शिकन-आलूद* शर्ट में
लोकल ट्रेन के दुसरे दर्जे में बैठा
मुम्बई की भागती-दौड़ती भीड़ से जूझता
सांसें लेने की कोशिश कर रहा था...
तुम शायद ऑफिस से निकल
मिलने जा रही थी किसी से
थके चेहरे पे खूब पानी के छीटों से
जगाना चाहा था हिसों* को अपनी
कानो में सस्ते से इअर-रिंग डाल रखे थे
शायद ट्रेन में ही लिया होगा कभी
कुछ ऐसा नहीं था
की मैं देखता मुड़ कर दुबारा
ट्रेन धक्के खाती हुई
अभी निकलने को ही थी स्टेशन से
की तुम किसी बात पर मुस्कुरायी
एक पल के लिए मदहम पड़ गयी मुम्बई की रफ़्तार भी
दूसरे लम्हे, स्टेशन वो छूट गया पीछे कहीं
एक लम्हे की मुहब्बत थी वो
लम्हे भर में गुज़र गयी
हाँ, लजज़त उसकी रहेगी कुछ दिनों तक होंटों पर
कुछ दिनों तक मुस्कुराऊंगा मैं...
*शिकन-आलूद - wrinkled, crumpled
*हिस - senses
लोकल ट्रेन के दुसरे दर्जे में बैठा
मुम्बई की भागती-दौड़ती भीड़ से जूझता
सांसें लेने की कोशिश कर रहा था...
तुम शायद ऑफिस से निकल
मिलने जा रही थी किसी से
थके चेहरे पे खूब पानी के छीटों से
जगाना चाहा था हिसों* को अपनी
कानो में सस्ते से इअर-रिंग डाल रखे थे
शायद ट्रेन में ही लिया होगा कभी
कुछ ऐसा नहीं था
की मैं देखता मुड़ कर दुबारा
ट्रेन धक्के खाती हुई
अभी निकलने को ही थी स्टेशन से
की तुम किसी बात पर मुस्कुरायी
एक पल के लिए मदहम पड़ गयी मुम्बई की रफ़्तार भी
दूसरे लम्हे, स्टेशन वो छूट गया पीछे कहीं
एक लम्हे की मुहब्बत थी वो
लम्हे भर में गुज़र गयी
हाँ, लजज़त उसकी रहेगी कुछ दिनों तक होंटों पर
कुछ दिनों तक मुस्कुराऊंगा मैं...
*शिकन-आलूद - wrinkled, crumpled
*हिस - senses
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