यही मुनासिब* है
कि बदग़ुमानियां* क़ायम रहें
अभी मैं इतना बेहिस नहीं हुआ
कि दामन बचा कर गुज़र जाऊं तेरी गली से
अभी तू इतना संगदिल नहीं हुआ
कि मुस्कुरा कर नज़रें मिला सके मुझसे
अभी चाँद रातें अज़ाब नहीं हुईं
अभी दिल में तेरे मुहब्बत का भरम बाक़ी है
कुछ अश्क़ बाक़ी हैं पलकों पर मेरे
तेरी भीगी रातों का हिसाब चुकाना है अभी
मेरे नाम पर आज भी चौंक पड़ता है तू
इस रिश्ते का कुछ बोझ उतारना बाक़ी है
अभी तन्हाई का आदी नहीं हुआ मैं
अभी वफ़ा पर एतमाद बाक़ी है
पुरानी किताबों में सूखे फूल अब भी मिलते हैं
तूने डायरी के सारे पन्ने जलाये नहीं हैं अभी
कुछ दिन और ये दूरियां क़ायम रहें
यही मुनासिब है कि बदग़ुमानियां क़ायम रहें
मेरे दिल से पूरी तरह उतरा नहीं है तू
तूने मुझे नज़रों से गिराया नहीं है अभी
दोनों को जल्दी है रास्ता बदलने की
ज़रा आहिस्ता, मोड़ आया नहीं है अभी
यही मुनासिब है.
*मुनासिब - appropriate
*बदग़ुमानियां - misunderstandings
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