Sunday, 12 January 2014

"Some promises aren't worth keeping" - Holly Black

याद है?
अक्सर कहा करते थे तुम
"मुझे आवाज़ देना
कहीं भी हूँ, लौट आऊंगा.
कि तुम बिन सफर तो है, मंज़िल नहीं
हर रिश्ता बेमानी है, तुम अगर हासिल नहीं
जानता हूँ वफ़ा की राह मुश्किल है ज़रा
पर वादा करके पलट जाऊं, मैं इतना तो बुज़दिल नहीं"


कितनी सदाएं दी, कितनी बार पुकारा
तुम नहीं आए
मेरी आवाज़ पहुंची नहीं तुम तक
दूरियां बहुत थी न दिलों के दरमियान
या शायद रिश्तों का, रस्मों का, मुहब्बत का
शोर होगा तुम्हारे अतराफ़* में बेपनाह

आज आख़िरी बार आवाज़ दी है
लौट आओ
इस गली से गुज़र जाओ एक बार
ग़लती से ही, मेरे दर पर ठिठक जाओ एक बार
जानती हूँ वफ़ा की राह मुश्किल थी बहुत
बस वादों का भरम रखने, पलट आओ एक बार

*अतराफ़ - surroundings/around

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