सुनो
एक आख़िरी मौक़ा दें हमारी मुहब्बत को
उस मोड़ से शुरू करें
जहाँ रिश्तों का कोई नाम नहीं था
बातें करना एक काम नहीं था
ख़ामोशियाँ गुफ्तुगू करती थी हमारी
जब सन्नाटों का इलज़ाम नहीं था
इस बार कुछ अलग करें
तुम अपनी अना भूल आना रास्ते में कहीं
मैं दफ्तर के एक कोने में दफना आउंगी सब शिकवे
मिटटी के प्यालों में चाय पिएंगे तुम्हारी खातिर
तुम भी बारिशों में भीग लेना ज़रा
इस बार जीन्स पर लगे रेत की शिकायत नहीं करुँगी
साहिल पर घरौंदे बनाएँगे ढेर सारे
तुम गुनगुनाना मेरे लिए, वो जो भूल बैठी हूँ
उस नग़मे को फिर से सजा देना होंठों पे मेरे
इस बार भीड़ में हाथ नहीं झटकूंगी तुम्हारा
ऊंचे ठहाके लगाते हैं चलो बेवजह
वह नीली शर्ट याद है? तुम पहन लेना मेरी ख़ातिर
अंजानो की तरह टकराएंगे फिर से सर-ए-राह
ढेर सारे गुब्बारों से चलो रंगे आसमान
एक रात जाग कर बिताएं, बातें करे बेपनाह
तुम्हारी आँखें अब भी बोलती हैं
अपने लफ़्ज़ों को आओ दें एक और ज़ुबां
बहुत लम्बा सफर है मुहब्बत का, शायान
मंज़िल नहीं मिली तो रास्ता बदल कर देखते हैं
एक आख़िरी मौक़ा दें हमारी मुहब्बत को
उस मोड़ से शुरू करें
जहाँ रिश्तों का कोई नाम नहीं था
बातें करना एक काम नहीं था
ख़ामोशियाँ गुफ्तुगू करती थी हमारी
जब सन्नाटों का इलज़ाम नहीं था
इस बार कुछ अलग करें
तुम अपनी अना भूल आना रास्ते में कहीं
मैं दफ्तर के एक कोने में दफना आउंगी सब शिकवे
मिटटी के प्यालों में चाय पिएंगे तुम्हारी खातिर
तुम भी बारिशों में भीग लेना ज़रा
इस बार जीन्स पर लगे रेत की शिकायत नहीं करुँगी
साहिल पर घरौंदे बनाएँगे ढेर सारे
तुम गुनगुनाना मेरे लिए, वो जो भूल बैठी हूँ
उस नग़मे को फिर से सजा देना होंठों पे मेरे
इस बार भीड़ में हाथ नहीं झटकूंगी तुम्हारा
ऊंचे ठहाके लगाते हैं चलो बेवजह
वह नीली शर्ट याद है? तुम पहन लेना मेरी ख़ातिर
अंजानो की तरह टकराएंगे फिर से सर-ए-राह
ढेर सारे गुब्बारों से चलो रंगे आसमान
एक रात जाग कर बिताएं, बातें करे बेपनाह
तुम्हारी आँखें अब भी बोलती हैं
अपने लफ़्ज़ों को आओ दें एक और ज़ुबां
बहुत लम्बा सफर है मुहब्बत का, शायान
मंज़िल नहीं मिली तो रास्ता बदल कर देखते हैं
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