किसी धुंधली सी शाम में चुपके से आ जाना
किसी बेहोश रात को थोड़ा सा जगा जाना
तुम्हारे बग़ैर सारे मौसम उदास हैं
किसी अफ़सरदा* सी सुबह को यूँ ही हंसा जाना
माना कि ख़फ़ा हो मेरी ज़ात से बहुत
सुनो, इस बार तुम भी मुझे रुला जाना
मुहब्बत का क्या है? हो जाएगी एक दिन
बुझते उम्मीद की शमा को फिर से जला जाना
मौत के दर पे खड़ी है ज़िन्दगी अरसे से
तुम एक अधूरी सांस का क़र्ज़ चुका जाना
ख़्वाबों की मेरी ज़मीन बंजर है शायान
सदियों की जागी आँखें, एक शब सुला जाना
किसी बेहोश रात को थोड़ा सा जगा जाना
तुम्हारे बग़ैर सारे मौसम उदास हैं
किसी अफ़सरदा* सी सुबह को यूँ ही हंसा जाना
माना कि ख़फ़ा हो मेरी ज़ात से बहुत
सुनो, इस बार तुम भी मुझे रुला जाना
मुहब्बत का क्या है? हो जाएगी एक दिन
बुझते उम्मीद की शमा को फिर से जला जाना
मौत के दर पे खड़ी है ज़िन्दगी अरसे से
तुम एक अधूरी सांस का क़र्ज़ चुका जाना
ख़्वाबों की मेरी ज़मीन बंजर है शायान
सदियों की जागी आँखें, एक शब सुला जाना
*अफ़सरदा - sad
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