मैं आज़ाद हूँ.
गुनाहों से, अज़ाबों से, अंधेरों से.
मेरी गली की बिजली नहीं जाती, मेरी सड़क पर जुर्म नहीं होते,
मैं मुत्मईं हूँ, महफूज़ हूँ, मसरूफ हूँ,
मैं आज़ाद हूँ.
जो रात घर न लौट सकी, वो मेरी बेटी नहीं थी,
धर्म के नाम पर जो घर फूँक दिए, वो मेरा घर नहीं था,
सड़कों पर भूखे, नंगे, भीख मांगते बच्चे मेरे नहीं हैं,
वो जो जल कर मर गयी, वो मेरी पत्नी नहीं थी,
मेरे माँ-बाप दर-ब-दर ठोकरें नहीं खाते,
जिसकी इज़्ज़त बेबस सी सिसक रही थी दरवाज़े पर, वो मेरी बहन नहीं थी,
सरहद पर कल जो शहीद हो गया, वो मैं नहीं हूँ.
मेरी चार-दीवारी के आगे की दुनिया से,
मुल्क, इंसानियत, मुस्तक़बिल से,
सब बेवजह की फ़िक्रों से,
मैं आज़ाद हूँ.
गुनाहों से, अज़ाबों से, अंधेरों से.
मेरी गली की बिजली नहीं जाती, मेरी सड़क पर जुर्म नहीं होते,
मैं मुत्मईं हूँ, महफूज़ हूँ, मसरूफ हूँ,
मैं आज़ाद हूँ.
जो रात घर न लौट सकी, वो मेरी बेटी नहीं थी,
धर्म के नाम पर जो घर फूँक दिए, वो मेरा घर नहीं था,
सड़कों पर भूखे, नंगे, भीख मांगते बच्चे मेरे नहीं हैं,
वो जो जल कर मर गयी, वो मेरी पत्नी नहीं थी,
मेरे माँ-बाप दर-ब-दर ठोकरें नहीं खाते,
जिसकी इज़्ज़त बेबस सी सिसक रही थी दरवाज़े पर, वो मेरी बहन नहीं थी,
सरहद पर कल जो शहीद हो गया, वो मैं नहीं हूँ.
मेरी चार-दीवारी के आगे की दुनिया से,
मुल्क, इंसानियत, मुस्तक़बिल से,
सब बेवजह की फ़िक्रों से,
मैं आज़ाद हूँ.