सुना है, बहुत फ़क़र्* से करती हो ज़िक्र मेरा
जो कभी तुम थी मेरे लिए,
सुना है, मैं अब वो बन गया हूँ तुम्हारा
जो कभी तुम थी मेरे लिए,
सुना है, मैं अब वो बन गया हूँ तुम्हारा
खतों के पुर्ज़ों को वापस जोड़ दिया है तुमने
सुना है, मेरी नज़्मों में अब खुद को ढूँढा करती हो.
जिस झील पर घंटो किया था बेसबब इंतज़ार मैंने
सुना है, वहां अक्सर अब तनहा बैठी रहती हो.
जो वफ़ा न कर सकी, वो वक़्त-ए-उरूज* करता है
सुना है, तुम्हारी उँगलियों पर मेरे नाम का हीरा चमकता है.
कौन कहता है मुहब्बत ख़रीदी नहीं जा सकती?
*फ़क़र् - pride
*वक़्त-ए-उरूज - rising /peak time
सुना है, मेरी नज़्मों में अब खुद को ढूँढा करती हो.
जिस झील पर घंटो किया था बेसबब इंतज़ार मैंने
सुना है, वहां अक्सर अब तनहा बैठी रहती हो.
जो वफ़ा न कर सकी, वो वक़्त-ए-उरूज* करता है
सुना है, तुम्हारी उँगलियों पर मेरे नाम का हीरा चमकता है.
कौन कहता है मुहब्बत ख़रीदी नहीं जा सकती?
*फ़क़र् - pride
*वक़्त-ए-उरूज - rising /peak time
No comments:
Post a Comment