तुम्हारी मुहब्बत महदूद* है अभी
रंग, ख़्वाब, गुलाबी शाम तक,
मेरी शायरी में तुम्हारे नाम तक
तुम्हारी रफ़ाक़तें* पाबंद* हैं
जाड़े की धूप, पहली बारिश की
इश्क़ में मिले हर आराइश* की
और
मेरी मुहब्बत का अल्मिया* है
कि इस पर हक़ीक़त की बंदिशें हैं
सुनो,
ज़रा खुद ही सोचो,
तुम्हारी ये नाज़ुक सी मोहब्बत
कब साथ दे पाएगी?
अस्पताल के अँधेरे कमरे में,
जहाँ रोग जान को लगने लगे.
ज़िन्दगी जिस्म पे तंग हो जाए,
जब मेरी सांसें कम पड़ने लगें.
और जून की जलती दुपहर में,
नंगे पांव पे छाले बनने लगे.
घर की दीवारों से रंग उतर जाए,
और ख्वाबों से पेट न भरने लगे.
जब छोटे से घरोंदे को,
सैलाब* का रेला बहा ले जाए.
जब रिश्ते वफ़ा से मुकर जाएं,
इश्क़ आज़माइश* पर उतर आए.
तुम्हारी ये नाज़ुक सी मोहब्बत...
कहाँ साथ दे पाएगी?
इसलिए बेहतर है जानां
कि रास्ते जुदा ही रहें
तुम्हारे ख़्वाब हैं कांच के
मेरा सफर बहुत पथरीला है
*महदूद - restricted
*रफ़ाक़तें - friendship
*पाबंद - bound to
*आराइश - adornment
*अल्मिया - tragedy
*सैलाब - flood
*आज़माइश - to bring to test
रंग, ख़्वाब, गुलाबी शाम तक,
मेरी शायरी में तुम्हारे नाम तक
तुम्हारी रफ़ाक़तें* पाबंद* हैं
जाड़े की धूप, पहली बारिश की
इश्क़ में मिले हर आराइश* की
और
मेरी मुहब्बत का अल्मिया* है
कि इस पर हक़ीक़त की बंदिशें हैं
सुनो,
ज़रा खुद ही सोचो,
तुम्हारी ये नाज़ुक सी मोहब्बत
कब साथ दे पाएगी?
अस्पताल के अँधेरे कमरे में,
जहाँ रोग जान को लगने लगे.
ज़िन्दगी जिस्म पे तंग हो जाए,
जब मेरी सांसें कम पड़ने लगें.
और जून की जलती दुपहर में,
नंगे पांव पे छाले बनने लगे.
घर की दीवारों से रंग उतर जाए,
और ख्वाबों से पेट न भरने लगे.
जब छोटे से घरोंदे को,
सैलाब* का रेला बहा ले जाए.
जब रिश्ते वफ़ा से मुकर जाएं,
इश्क़ आज़माइश* पर उतर आए.
तुम्हारी ये नाज़ुक सी मोहब्बत...
कहाँ साथ दे पाएगी?
इसलिए बेहतर है जानां
कि रास्ते जुदा ही रहें
तुम्हारे ख़्वाब हैं कांच के
मेरा सफर बहुत पथरीला है
*महदूद - restricted
*रफ़ाक़तें - friendship
*पाबंद - bound to
*आराइश - adornment
*अल्मिया - tragedy
*सैलाब - flood
*आज़माइश - to bring to test
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