Thursday, 10 December 2015

Now is not the time!

हमें मिलना है किसी और मोड़ पर, जानां
तुम्हे माज़ी के कई वरक़* जलाने हैं अभी
मुझे हथेली की कुछ लकीरें मिटानी हैं.
किसी के अश्क़ों का हिसाब भी देना है
तुम पर एक मुस्कराहट का क़र्ज़ बाक़ी है.
मेरे लिए ज़रूरी है मैं भीड़ का हिस्सा बन पाऊँ
तुम्हे तन्हाई की भी आदत होनी चाहिए.

हमें मिलना है किसी और मोड़ पर, जानां

जरूरी है कि तुम महरूमी* ज़रा समझो
मेरे ख्वाब ज़रा चटक* जाएं, तो बेहतर.
तुम्हे कुछ थकन सी हो मुझसे
मेरे सीने में भी वहम* आने चाहिए.
फ़क़त* ख़्वाहिश की बुनियाद* कमज़ोर होती है
तुम्हे मेरी ज़रूरत होनी चाहिए.

हमें मिलना है किसी और मोड़ पर, जानां
अना* थक कर हार जाएगी रस्ते में कहीं
जब चेहरों से चेहरे उतर जाएंगे.
ज़रा बिखरी हुई तुम, बहुत टूटा हुआ मैं
जब मुहब्बतों के मायने बदल जाएंगे.
हमें मिलना है उस मोड़ पर, जानां!

*वरक़ - pages
*महरूमी - deprivation
*चटक - crack
*वहम - suspicion
*फ़क़त - only
*बुनियाद - foundation
*अना - ego

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