(1)
किसी बुरे ख़्वाब का हिस्सा रहा हो जैसे
ना जाने क्यूँ देखा-देखा लगता है
उस शख्स से अजीब वहशत होती है
वो, जो आईने में रहता है
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(2)
तुम ख़ामोशी से उठ कर चले गए
मेरे पहलू में तुम्हारी ख़ामोशी बैठी है अब भी
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(3)
वो कौन हैं जो मर जाते हैं मुहब्बत में
मैं तो जीना सीख रहा हूँ तुम्हारे जाने के बाद
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(4)
फ़रिश्तों को मार डाला एक जन्नत के वास्ते
मज़हब ने बदल दिए हैं मज़हब के मायने
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(5)
(2)
तुम ख़ामोशी से उठ कर चले गए
मेरे पहलू में तुम्हारी ख़ामोशी बैठी है अब भी
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(3)
वो कौन हैं जो मर जाते हैं मुहब्बत में
मैं तो जीना सीख रहा हूँ तुम्हारे जाने के बाद
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(4)
फ़रिश्तों को मार डाला एक जन्नत के वास्ते
मज़हब ने बदल दिए हैं मज़हब के मायने
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(5)
उसने ख़ुदकुशी कर ली कल रात
वो जो आईने में रहता था
बिना रूह के जिस्म ज़िंदा नहीं रहते
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